अमेरिकन एक्ट्रेस एलिसिया सिल्वरस्टोन अक्सर अपने पेरेंटिंग स्टाइल की वजह से चर्चा में रहती हैं। हाल ही में एलिसिया ने खुलासा किया कि वह अपने 11 साल के बेटे बेयर के साथ सोती हैं। ‘भालू और मैं अब भी साथ सोते हैं,’ एलिसिया ने कहा।
एलिसिया के मुताबिक वह नेचर फॉलो कर रही हैं। एलिसिया के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर उन्हें काफी ट्रोल किया जा रहा है. एलिसिया के इस बयान पर एक यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा, ‘वह स्वतंत्र होना कैसे सीखेंगी? आप उसकी मदद नहीं कर रहे हैं बल्कि उसे नुकसान पहुंचा रहे हैं।
सोशल मीडिया पर जहां लोग एलिसिया को-स्लीपिंग कॉन्सेप्ट की निंदा कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनकी नजर में यह बुरा नहीं होता। एलिसिया की पसंद पर एक यूजर ने ट्वीट किया, ‘इस वक्त समाज में बहुत सारे आवारा घूम रहे हैं… शायद माता-पिता का थोड़ा और प्यार इसका जवाब हो सकता है.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बच्चों के साथ एक ही बिस्तर पर सोना सही है? या माता-पिता को अपने बच्चों के साथ किस उम्र तक सोना चाहिए? ऐसे में आइए जानते हैं क्या कहना है चाइल्ड डॉक्टर्स और साइकोलॉजिस्ट्स का।
In such a situation, the question arises whether it is right to sleep on the same bed with children? Or up to what age should parents sleep with their children? In such a situation, let us know what the child doctors and psychologists have to say.
न्यूयॉर्क की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रेबेका फिस्क ने कहा, ‘मैं हमेशा माता-पिता से कहती हूं कि अपने बच्चों के साथ एक ही बिस्तर पर सोना उनका अपना निजी फैसला है। यह एक चिकित्सा निर्णय नहीं है।
फिस्क ने एक वेबसाइट से बात करते हुए कहा कि माता-पिता को कभी भी 12 महीने से कम उम्र के बच्चों के साथ बिस्तर साझा नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे एसआईडीएस (अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम) और दम घुटने से मौत का खतरा बढ़ जाता है।
वहीं, फिस्क का कहना है कि हर किसी की नींद से संबंधित अलग-अलग जरूरतों के कारण साथ में सोने से कई बार आपको और बच्चे को सही से नींद आने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. अगर आप अपने बच्चे के साथ सो रहे हैं तो इस बात का ख्याल रखें कि उसे दिन भर में अच्छी तरह से आराम मिला हो. अगर ऐसा नहीं हो पा रहा है तो साथ सोने के अलावा आपके पास और भी कई विकल्प हैं. जैसे आप कमरे में एक एक्स्ट्रा बिस्तर रख सकते हैं. बच्चे के सोने के बाद आप उसमें सो सकते हैं ताकि आपका बच्चा बेड पर खुलकर सो सके और उसे नींद के दौरान किसी दिक्कत का सामना ना करना पड़े. आप चाहे तो बच्चे को सुलाने के बाद दूसरे कमरे में भी सो सकते हैं.
वहीं, चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट एलिजाबेथ मैथिस ने कहा कि बच्चों के साथ बेड शेयर करना कई बार काफी अच्छा भी साबित होता है खासकर उस समय जब माता-पिता दोनों अलग-अलग रहते हैं. मैथिस का कहना है कि जिन लोगों के साथ आप सेफ फील करते हैं, उनके आसपास रहने से आपको काफी अच्छा महसूस होता है.
इस स्टेज पर बच्चों के साथ सोना कर देना चाहिए बंद
यह जानना काफी जरूरी है कि किस स्टेज पर आपको अपने बच्चे के साथ सोना बंद कर देना चाहिए. जब आपको अपने बच्चे में शारीरिक बदलाव नजर आने लगें तो आपको उनके साथ सोना बंद कर देना चाहिए. इसे प्री-प्यूबर्टी (यौवनारम्भ) कहा जाता है. प्यूबर्टी या प्री-प्यूबर्टी उस समय को कहा जाता है जब आपके बच्चे का शरीर यौन रूप से परिपक्व होने लगता है. इस दौरान लड़कियों में ब्रेस्ट का विकास और पुरुषों में दाढ़ी-मूंछ बढ़ना, प्राइवेट पार्ट के आकार में वृद्धि जैसे शारीरिक परिवर्तन होते हैं. फिस्क ने कहा, ‘प्री-प्यूबर्टी वह समय होता है जब आपको अपने बच्चों के साथ सोना बंद कर देना चाहिए.’
मैथिस ने भी फिस्क की बात का सपोर्ट करते हुए कहा कि प्यूबर्टी ही वह समय होता है जब आपको अलग-अलग बेड पर सोना शुरू कर देना चाहिए. प्यूबर्टी फेज शुरू होने की औसत उम्र लड़कियों में 11 साल और लड़कों में 12 साल होती है. हालांकि, लड़कियों में 8 साल से 13 साल के बीच प्यूबर्टी का शुरू होना भी सामान्य है. वहीं, लड़कों में प्यूबर्टी 9 साल की उम्र से लेकर 14 साल की उम्र के बीच शुरू हो सकती है.
मैथिस ने कहा, प्यूबर्टी के दौरान बच्चों के शरीर में कई तरह के बदलाव हो रहे होते हैं, ऐसे में जरूरी है कि आप बच्चों को स्पेस दें. इससे वह सहज रहेंगे. अगर आप बच्चों को एक ही बेड पर सुलाते हैं तो इससे आपकी प्राइवेसी भी प्रभावित होती है.
हालांकि, आप ये जरूर सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा अगर दूसरे कमरे में या अलग बिस्तर पर सोए तो उसे सुरक्षित और सहज महसूस हो. जब आपका टीनेजर बच्चा किसी बात को लेकर परेशान हो तो भी उसे अपने पास सोने के लिए कह सकते हैं.